जरा मुस्कुराइये
छोटी सी जिंदगी है ,जरा मुस्कुराइये।
गम को छोड़ पीछे, कदम आगे बढाइये।
जिंदगी किसी मोड़ पे, गर रुक सी गई है।
नदियों से ले सीख,निरंतर बढ़ते जाईये।
जख्म की तासीर अगर ,हो बहुत गहरी।
माफ करके उन्हें,जख्मों पे मरहम लगाइये।
खुद में ही सिमट जाने की सजा, ठीक नहीं है।
भूल यादों को, सलाखों से बाहर भी आइये।
उन्मुक्त गगन बुला रहा,अपनी बाहें फैलाये ।
तोड़ दर्द का पिंजड़ा ,हवा में उड़ भी जाइये।
जिंदगी बिखरने नहीं, सम्भलने का नाम है।
फिजाँ में फैली हैं खुशियां उन्हें गले लगाईये।
भूल दर्द ,खिलखिलाइये और गुनगुनाइए।
जिंदादिली का नया ,एक प्रदीप्त लौ जलाइये।
आशा की नव किरण का, संचार यूँ करिये।
जुगनुओं की तरह ,चारों तरफ जगमगाइये।
अपने हौसलों को , कुछ यूँ बुलंद बनाइये।
दुनियाँ के लिये , एक मिसाल बन जाइये।
छोटी सी जिंदगी है, जरा मुस्कुराइये।
छोड़ गम के निशाँ पीछे, आगे बढ जाइये।
Waah waah kya khub likha hai aapne madam ji
ReplyDelete