दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।

दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।
चलते चलते जब थक जाऊँ,
बीच रास्ते में ही रुक जाऊँ।
माँ के मनुहार करने पर भी ,
अपने कदम आगे ना बढाऊँ।
और माँ डाँटने की बजाय प्यार से 
मझे अपनी गोद में उठाएं ।
मैं उनकी बाहों में ही सो जाऊँ,
आँखे खुलने पर अपने आप को
नर्म मुलायम बिस्तर में पाऊँ।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।

सुबह जब स्कूल जाने की जल्दी हो,
माँ सबके लिए टिफिन तैयार करने में लगीं हो।
तो बाबूजी प्यार से बुलाये कि
आजा आज तेरी चोटी मैं बना दूँ।
और मैं प्यार से उनके गलबहियां झूल जाऊं।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।

दिल चाहता है एक बार फिर से स्कूल जाऊँ,
अपने क्लास में आगे के बेंच पर बैठ जाऊँ।
अपनी किताबों की दुनियाँ में ही डूब जाऊँ।
अपने गुरुजनों का विशेष स्नेह ,
और कृपापूर्ण मार्गदर्शन पाऊँ।
जीवन के गोल्डेन दिनों को
एक बार फिर से जी पाऊँ।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।


फिर वही चाँदनी रात और हम बच्चों की टोली हो,
कभी परछाई डोल कभी भंटा चोर का खेल हो।
कभी कबड्डी,कभी खो खो कभी कुक्कुट युद्ध में,
हरे भरे घाँस के मैदान में,
दोस्तों संग लोट पोट जाऊँ।
सभी के साथ खेलूं खिलखिलाऊँ,
कभी गिल्ली डंडा तो कभी पतंग मैं उड़ाऊँ।
कभी कागज की नाव और कभी रॉकेट बनाऊँ। छुपन छुपाई हो ,कभी कंचो से निशाना लगाऊँ ।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।

कभी मेले में जाऊँ और झुले पर झूल जाऊँ,
कभी गुड्डे गुड़ियों से खेलूँ और उनका ब्याह रचाऊँ।
सभी दोस्तों को इस शादी की दावत में बुलाऊँ,
कोई चावल ले लाये और दाल कोई लाये,
कोई आलू तो कोई तेल और अचार ले आये।
इसे मिट्टी के चूल्हे और बर्तनों में पकाऊं,
और अधपके खिचड़ी को बारातियों को खिलाऊँ।काश! छुटपन के उन पलों को दुबारा मैं जी पाऊँ।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।

घर के प्रांगण में घुसते ही,
स्कूल बैग कंधे से उतार हवा में लहराऊँ।
दिन दुनियाँ से बेफिक्र गाने मैं गुनगुनाऊँ।
माँ के हाथों के बने लज़ीज खाने को मैं खाऊँ, 
माँ के आँचल में हाथ पोंछूँ,
उनके ही बिस्तर में घुस जाऊँ।
माँ को पकड़ कर सुकून से सो जाऊँ ।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।

भाई बहनों में बचपन का वही भाव हो,
कभी झगड़ा तो कभी प्यार हो।
शाम को पापा के रबड़ी लाने पर,
एक दूसरे को ज्यादा खिलाने का 
त्याग और वही मीठा सा मनुहार हो।
फिर से भाई बहनों की उसी दुनियाँ में लौट जाऊँ।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।

गर्मी की दोपहरी हो,
और स्कूल की छुट्टी हो।
हुरदंगों की टोली हो,
बहेरा , पेड़ के सफेद- गुलाबी जलेबी 
या फिर कच्चे पपीते की पार्टी हो।
दोपहर में घूम नहीं रहे थे बल्कि 
स्कूल का काम कर रहे थे।
शाम को घर में सभी को ये बताऊँ ,
और पिटाई खाने से बच जाऊँ।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।

कभी मुश्किलें अगर आयें,अगर हो कोई परेशानी,
पापा की उँगली पकड़ कर निदान ढूंढ़ पाऊँ।
पापा हर समस्या का समाधान कर देंगे,
या फिर अपने हौसलों से मुझे फौलाद कर देंगें।
जमाने की हर कसौटी पर मैं खड़ी उतर पाऊँ,
वही दृढ़ संकल्प और विश्वास फिर से मैं जगाऊँ।
अपनी खुशियों और हसरतों भरे मुकाम को पाऊँ।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।

माँ का स्नेह एवं पिता का विश्वास अपने में मैं जगाऊँ।
उन की झिलमिलाती आँखों के सपनों को साकार कर पाऊँ।
जो ख्वाब देखे थे उन्होंने उसे आकार दे पाऊँ।
मेरे उड़ान को पंख दे के जो खुला आसमाँ बनाया,
उनके उस जज्बे को मैं एक सलाम कर जाऊँ।
कभी शर्मिंदा ना हो मेरे माँ बाप का सर,
अपने नवसृजनों से मैं एक नया इतिहास बनाऊँ।
हमेशा पापा की प्यारी और माँ की लाडली रह पाऊँ
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।

दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।
दिल चाहता है एक बार फिर से बच्चा बन जाऊँ।।


-पूनम एक प्रेरणा

















 
 

4 Comments

Previous Post Next Post