मोहपाश
जिसे मन अपना समझ बैठा है,
जिससे मोह लगा बैठा है,
वही तो मोहपाश है ,
जिसमें मन उलझ बैठा है।
मन कहता ये सब कुछ मेरा है,
सब कुछ मैंने बनाया है,
इसे मैंने खरीदा है,
ये तो बस मेरा ही मेरा है।
ये बंगला मेरा है,ये मोटर मेरा है,
करोड़ो की जायदाद मेरा है।
जहाँ तक नजरों का फेरा है,
इस जमीं से आसमाँ तक पूरा कायनात मेरा है।
ये सोना मेरा है, ये चांदी मेरा है,
हीरे मोतियों रत्नों जड़ा संसार मेरा है।
ये जमीन मेरा है,ये जायदाद मेरा है,
ये मेरे पुरखों ने बनाया था जिस पर अधिकार मेरा है।
ये फ्रिज मेरा है, ये कार मेरा है,
बैंक बैलेंस और लॉकर में रखा जवाहरात मेरा है। सदियों से खेत में बरगद जो खड़ा है,
वो मेरी पुरखों की विरासत का पहरेदार रहा है।
ये सब कुछ मेरा है,ये सब कुछ मेरा है।
तभी तक जब तक कि इस जग में बसेरा है।
हाँ,तभी तक जब तक कि साँसों का फेरा है।
तन से सांस निकली तो ना ये शरीर मेरा है,
और ना ही सुख सुविधाओं भरा ये संसार मेरा है।
मैं किसी को भी ना दूँगा,
नहीं नहीं ये सब कुछ मेरा है।
पर जब ये आँखें मूंदी होंगी,
सभी कुछ कोई और ले रहा होगा।
हम उसे रोक नही पाएंगे,दुनियाँ एक रैनबसेरा है।
यहाँ महफ़िल सजी है,चहु ओर जगमग सितारा है।
मेहमान इस महफ़िल के हम, हमें ये नहीं भूलाना है। ये शानों शौकत दिखावा है,ये ना तेरा है ना मेरा है।
यही दस्तूर जहाँ का है,सब कुछ यहीं रह जाना है।
मन की उलझन को हमें सुलझाना है।
मोहपाश के बांधन को हमें हटाना है।
प्रेम ,दया ,करुणा और सौहार्द से नैया पार लगाना है।
द्वेष,घृणा,और बदले की भावना का विकार हटाना है।
Bahut sunder
ReplyDeleteTum Kabhi bhi kamjor nahi thi
Pehle bhi ek example thi and aaj bhi ho.keep it up 🙏🙏