असली आजादी

"सभी को आजादी प्यारी लगती है। खुली हवा में साँस लेना , उन्मुक्त हो विचरन करना   आत्मसंतुष्टि का बोध कराने वाला बेहद ही  खूबसूरत एहसास होता है। हम सब खुशनसीब हैं कि आजाद भारत में पैदा हुए हैं। हमारे पूर्वजों ने इस आजादी की कीमत चुकाई है। इस आजादी को पाने के लिए ना जाने कितने ही लोगों ने अपना सर्वस्व बलिदान किया है तब जा कर आज तिरंगा खुली फ़िजा में लहरा रहा है और हम आजाद भारत की आजाद हवा में साँस ले रहे हैं। तिरंगा हमारी शान है। हमें इसके सम्मान के लिए मर मिटने को तत्पर रहना चाहिए। जय हिंद ! जय भारत !"

चारों तरफ तालियों की गड़गड़ाहट गूंज रही थी। पल्लवी अपनी ऑफिस में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित झंडोत्तोलन समारोह में तिरंगा फहराने के बाद लोगों को संबोधित कर रही थी।
सुदूर गाँव में उसकी पोस्टिंग हुई थी। आजादी के इतने सालों बाद भी विकास की इस स्थिति को देखकर वो मन ही मन आहत थी। सब कुछ बदल देना चाहती थी वो।
नदी के बाँध किनारे खूँटी से बँधी गाय को नाद में सानी-पानी देने के लिए अपनी फूस की झोपड़ी से निकल कर लालटेन की लौ को तेज करते हुये ग्रामीण की दयनीय स्थिति उसे अंदर तक झंकझोर रही थी।

आस-पास के गाँवो के दौरे से उसे इस बात का एहसास हो चुका था कि आकड़े कुछ और बताते है और वास्तविकता कुछ और ही है। उसने मन ही मन विकास की राशि को सही हकदार तक पहुँचाने की दिशा में ईमानदारी से अपना फर्ज निभाने की ठान ली।

जब कोई गरीब औरत अपने दो तीन बच्चों को लेकर उसके पास आती और कहती कि पिछले छः महीने से वो कार्यालय के चक्कर लगा रही है। उसने कार्यालय के चपरासी को जल्दी काम करवाने को बोला तो उसने कहा छः सौ रुपये ऊपर से लगेंगे ।कर्ज लेकर उसने उनको पैसा भी दे दिया है फिर भी वे उसका काम नहीं कर रहे हैं और अब तो उसके पास ऑटो रिक्शा का किराया देने तक के पैसे नहीं है। गिड़गिड़ाते हुई वी औरत बोली "ऑटो भाड़ा के लिए 30 रुपया कर्जा लेकर आई थी और अब कमलेश बाबू, ऑफिस का चपरासी ,बोल रहे हैं कि अगले महीने आना। मेरे पास घर जाने के लिए भी पैसा नहीं है।"
वह दुबली पतली सी औरत रोते हुए मेरे कदमों की तरफ झुकते हुए बोली "मैडम जी आपके पैर पड़ती हूँ मेरा काम आज करवा दीजिये।"

पल्लवी सोच रही थी कि क्या आजाद भारत के इसी रूप की वीर शहीदों ने कल्पना की होगी ?

पल्लवी ने अपनी केबिन की घंटी बजाई। कमलेश अंदर आकर बोला" जी मैडम जी आदेश।" परन्तु जैसे ही उसकी नजर केबिन के एक किनारे खड़ी सहमी सी उस औरत पर पड़ी उसके चेहरे का रंग उड़ गया। उसने पल्लवी के पैर पकड़ लिए।
"मैडम जी  गलती हो गई। आगे से ऐसी गलती नहीं होगी । मैं इसके पैसे अभी वापस कर देता हूँ।मेरे भी छोटे-छोटे बच्चे हैं।मैडम जी आखिरी बार माफ कर दीजिए। सुधरने का एक मौका दे दीजिये।"
दोनों हाथ जोड़े कमलेश पल्लवी के आगे अपने मासूम बच्चों की दुहाई देकर गिड़गिड़ा रहा था।

पल्लवी ने कठोरता से कहा " तुम्हारे बच्चों का सोंचकर एक आखिरी मौका दे रही हूँ।गलती दोहराना मत।"

जी मैडम जी , बहुत बहुत मेहरबानी " कहता हुआ कमलेश केबिन से बाहर निकल गया तो पल्लवी ने उस औरत को अपने पास से एक सौ रुपये देते हुए कहा " ये रख लो , तीस रुपये जिससे उधार लिए हैं उसे लौटा देना  बाकी  वापसी के लिए ऑटो रिक्शा के किराए के काम आएंगे। और हाँ! आगे से ऑफिस में किसी काम के लिए कोई भी पैसा माँगे तो देना मत।मुझे आकर बताना जरूर ।समझी! वो औरत पल्लवी का धन्यवाद करते हुए बोली आप जैसे लोग भगवान का रूप हैं हम गरीबों के लिए वरना हमारी सुनता कौन है ?

कुछ दिनों तक ऐसा लग रहा था जैसे सब कुछ ठीक हो जाएगा। वास्तविक सहायता जरूरतमंद तक पहुंच पायेगा।

परंतु कमलेश जैसे लोगों का तो पूरा एक गैंग था।उनकी रोज की लाखों की ऊपरी आमदनी बंद हो चुकी थी ।अतः पल्लवी को रास्ते से हटानेके लिए हर मुमकिन षडयंत्र रचा जाने लगा।

पल्लवी के खिलाफ मंत्रालय में शिकायतदर्ज करवाई गई कि गाँव के विकास की योजना को स्वीकृति प्रदान करने के लिए राम सिंह 10 से 15 अगस्त 2021 के बीच पल्लवी से उसके केबिन में मिला जहाँ पल्लवी ने योजना की स्वीकृति के लिए पहले दस लाख रुपये देने की मांग की और कहा कि पहले रूपये दो फिर इस योजना के ऊपर कोई भी बात चीत करूँगी।

ऐसी भ्रष्ट और गिरी हुए अधिकारी का तुरंत तबादला कर उसके ऊपर कठोर कार्यवाही की जाए अन्यथा ये अशिक्षित महिला एक सड़ी हुई मछली के समान पूरे तालाब को गंदा कर बदबू फैलाएगी।

पल्लवी के विभाग से आदेश आया कि चूंकि शिकायत कर्ता ने मंत्रालय में शिकायत की है अतः विषय की गंभीरता को देखते हुए गांव के विकास की योजना को तुरंत स्वीकृति दी जाए तथा राम सिंह को हुई असुविधा के लिये उनसे माफी मांगी जाये।

पल्लवी इस झूठे आरोप तथा विभाग के इस तरह के आदेश से आहत थी। वो सोचने लगी क्या हम कभी  इस भ्रस्ट तंत्र से आजाद हो पाएंगे ?

रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगनाओं ने जिस आजादी के लिए अपने बच्चे को पीठ पर बाँध कर अंग्रेजों से आखिरी सांस तक लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त होना श्रेयस्कर समझा उस आजादी का ये कैसा रंग है?

नहीं! नहीं! मैं उनके बलिदान को व्यर्थ ना जाने दूँगी। मैं इतनी आसानी से हार नहीं मानूँगी।

अचानक पल्लवी को ऐसा लगा मानो घोड़े पर सवार लक्ष्मी बाई उसके सामने खड़ी हो और कह रही हो-

"उठ जा पल्लवी! इन अंग्रेजों का सामना कर और खदेड़ दे सरहद पार। मुझे देख ! मैं अंग्रेजों से पूरी ताकत लगा कर लड़ी । मैं युद्घ में वीरगति को प्राप्त हुई।मैं देश को अंग्रेजों का गुलाम बनने से मरकर भी न रोक सकी ।परन्तु मेरे जीते जी मेरे भारत को गुलाम बनाने का अंग्रेजों का सपना पूरा न हो सका।"
आज मुझे तुममें दूसरी रानी लक्ष्मीबाई दिखाई दे रही है। उठ!  तलवार रूपी अपनी कलम उठा!भ्रस्टाचारियों का नाश कर और सही मायने में भारत को आजाद कर मेरे अधूरे सपने को साकार कर। भारत माँ तुझे पुकार रही है पल्लवी। निराश मत हो ।जाओ अपना फर्ज निभाओ ।माँ को बंधन मुक्त कराओ पल्लवी, बंधन मुक्त कराओ। विजयी भव!

पल्लवी को लगा किसी ने उसमें अद्भुत शक्ति का संचार कर दिया हो।

उसने शिकायत को ध्यान से पढा।उसकी आँखों में चमक जाग उठी। उसने तुरंत मंत्रालय एवं विभाग को ई  मेल के माध्यम से पत्र लिखा ।

महोदय,

जिस दिन रामसिंह मेरे कार्यालय में पहुँच कर मेरे विरुद्ध घिनौना आरोप लगा रहे हैं उस अवधि में मैं  स्वतंत्रता दिवस की तैयारी की रूप रेखा तैयार करने के लिये मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए  दिल्ली गई हुई थी और 15 अगस्त के दिन मैं झंडोत्तोलन के कार्यक्रम में व्यस्त थी।

जब राम सिंह उस अवधि में मुझसे मेरे कार्यालय में मिल ही नहीं पाए तो उनकी शिकायत फर्जी सिद्ध हो जाती है। अतः एक महिला पदाधिकारी के लिये अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने तथा सरकारी काम मे अवैध तरीके से बाधा पहुंचाने के लिए या तो विभाग द्वारा उचित कार्यवाही की जाए या फिर राम सिंह द्वारा मेरी छवि को धूमिल करने एवं अभद्र भाषा शैली का प्रयोग करने के लिये मुझे न्यायालय में राम सिंह के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा दायर करने की इजाजत दी जाए ।

भवदीय

पल्लवी
जिलाधिकारी
जिला - सूरजपुर

अगले दिन राम सिंह पल्लवी के कार्यालय का चक्कर लगा रहा था और पल्लवी से बार- बार कह रहा था "बहकावे में आकर मैंने झूठी शिकायत दर्ज कर दी थी ।कृपया मुझे माफ़ कर दे। आगे इस गांव का कोई भी व्यक्ति आपके विकास के कार्य में बाधा नहीं पहुँचायेगा  ये मैं आपसे वादा करता हूँ।"

पल्लवी को यूँ लगा मानो दूर खड़ी लक्ष्मीबाई उससे कह रही हों आज तूने वास्तव में अंग्रेजों को देश से भगा कर भारत माँ को आजाद कराया है।

चारों तरफ असली आजादी की जश्न के जयकारे की गूंज सुनाई दे रही थी "भारत माता की जय! भारत माता की जय!"

पूनम एक प्रेरणा


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