सभी को मेरा नमस्कार , 🙏
आज की चर्चा के इस विषय "आप एक शब्द में अपना परिचय कैसे देंगे'' ने मेरे अंदर चल रहे भावनाओं के झंझावात को प्रकट करने का मंच प्रदान किया है।
मैं अपने आप से सवाल करती कि आखिर कौन हूँ मैं?
मेरे दुनिया में आने का प्रयोजन क्या है?
क्या मैं भी औरों की तरह ही हूँ जो साँस चलने के साथ जीते हैं और साँसो की डोर थमने से मरते हैं?
धीरे धीरे पता चला कि मैं औरों से कुछ अलग हूँ।
जिस वातावरण एवं व्यवहार से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता था वही बातें मेरे संवेदनशील होने के कारण मुझे ज्यादा प्रभावित करती थीं। ठीक वैसे ही जैसे सर्दी की रात में बाहर रखी लोहे की कुर्सी लकड़ी की कुर्सी की अपेक्षा ज्यादा ठंढ़ी होती है ।
मैं अपने आसपास गलत होता देख चुप नहीं रह पाती।शायद मैं अन्याय होने से ना रोक पाऊँ ,परिणाम ना बदल पाऊँ परंतु अपना आक्रोश जाहिर कर प्रतिरोध व्यक्त करने से अपने आपको नहीं रोक पाती।
जब मैं कॉलेज में थी लड़कों के भद्दे कमेंट्स का मुंहतोड़ ज़बाब देती थी।तब मेरी बड़ी बहन ने एक दिन मुझसे पूछा था कि तुम लड़कों को ऐसे जबाब देती हो! तुम्हें डर नहीं लगता ! किसी ने तुम्हारे ऊपर एसिड फेंक दिया तो?
मैंने तब कहा था दीदी," मैं मरने से पहले नहीं मर सकती।"
शायद ईश्वर ने मुझे इसलिए चुना था कि मैं गलत का प्रतिकार कर सच बोल सकूँ ,सच -"बेबाक सच " लिख सकूँ।
कभी परिणाम के डर से सच से मुँह ना फेरूं , लोगों के असली चेहरे समाज के सामने ला सकूँ। शायद इसी विशेष प्रयोजन से जुझारू प्रवृति , निर्भीक व्यक्तित्व एवं कलम का धनी बनाकर कर ईश्वर ने विशेष प्रयोजन के लिए मेरा सृजन किया है, जिसके कंधे पर समाज को सच का आईना दिखा कर जागरूक करने की जिम्मेदारी है।
अतः एक शब्द में मेरा परिचय हो सकता है-धारदार लेखनी की धनी, समाज को जागरूक एवं प्रेरित करती
एक "लेखिका" ।
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