बचपन के सब संगी साथी
हैं जैसे दिया और बाती
यादें उनसे जुड़े पलों की
हमें आज तक गुदगुदाती
हैं जैसे दिया और बाती
यादें उनसे जुड़े पलों की
हमें आज तक गुदगुदाती
संग कंचे उनके खेलना
गलियों में यूँ ही घूमना
वो कागज की नाव बना
बारिश में हमारा भींगना
वो गड्ढ़ों में रुके पानी में
छप छपाक छई सा कूदना
एक दूसरे पर छींटे उड़ाना
वो खुशियों से हमारा झूमना
गिल्ली डंडा में गिल्ली लोकना
कबड्डी में यारों को धर दबोचना
बेबात ही लड़ना झगड़ना रूठना
पर वो साथ फिर भी ना छोड़ना
बचपन की सुनहरी यादों को
अपने दिलों में जिंदा रखना
वक्त की तेज रफ्तार आंधी में भी
दोस्ती के दीए को जलाए रखना