ग्राहकों की अपेक्षाएं एवं हमारी ग्राहक सेवा

ग्राहकों की अपेक्षाएं एवं हमारी ग्राहक सेवा

आज उपभोक्ता अधिक जानकार एवं ज्ञानवान है। कई बैंकिंग कंपनियों की भीड़ के कारण ग्राहकों के समक्ष उत्पाद कई रूप में होते हैं ,जिसके परिणाम स्वरुप उपभोक्ता के पास कई विकल्प होते हैं। बैंकिंग के नवीन उत्पादों की व्यूह रचना का सामना करने वाले ग्राहक त्वरित सेवा, उत्कृष्ट  सेवा,  व्यक्तिगत ध्यान, कस्टमाइज्ड प्रस्ताव तथा उस उत्पाद के संबंध में सुगमता से जानकारी एवं शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई के अतिरिक्त और भी बहुत कुछ अपेक्षाएं रखता है। वर्तमान समय में उपभोक्ता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक है।  आज की मौजूदा स्थिति में ग्राहकों की संतुष्टि वित्तीय सेवा क्षेत्र में विकास के लिए प्राथमिक बाध्यताओं में एक है। सेवा की गुणवत्ता ही विभिन्न सेवाओं प्रदाताओं की मुख्य विभेदक हो चुकी है।

ग्राहक की मुख्य शिकायतें एवं रोष के कारण :

- दुर्व्यवहार या उत्पीड़न या सहानुभूति रहित दृष्टिकोण का होना।
- मृतक के खातों के दावों का निपटान करने में देरी।
- काउंटर पर मौजूद कर्मचारियों को बैंक नियमों/योजनाओं का पूर्ण ज्ञान ना होना तथा उनके द्वारा ग्राहकों के साथ सहयोग ना किया जाना।
- पासबुक/विवरणी में देरी।
- ग्राहकों द्वारा असंतुष्ट होने पर संबंधित कर्मचारी द्वारा भी धैर्य खो  देना और ग्राहकों से अनावश्यक रूप से बहस करना।
- पैसा भुगतान करने में देरी करना / चेकों के भुगतान में विलम्ब होना।
- कंप्यूटर सिस्टम फेल होने के कारण ग्राहकों को होने वाली असुविधा।
- पेंशन के महंगाई भत्तों में वृद्धि  होने पर उसके एरियर के भुगतान में विलंब होना।

आज कोई हमसे बैंक के कार्य के बारे में पूछता है तो बिना सोचे हम कह देते हैं कि बैंक का काम अब आसान नहीं रहा। जरा सोचिए इस उत्तर से हमारे ग्राहकों के बीच क्या संदेश जाएगा। नकद भुगतान काउंटर से भुगतान तो कर दिया जाता है मगर पासबुक में लेखा अलग काउंटर पर पासबुक प्रिंट किया जाता है, जिसके लिए ग्राहकों को दुबारा कतार में खड़े रहकर समय बर्बाद करना पड़ता है। इस तरह से अनावश्यक श्रम, धन, व समय  की बर्बादी ग्राहक को उत्तेजित करती है।

अतः ग्राहक क्या चाहते हैं और उनकी अपेक्षा क्या है ?

ग्राहक सिर्फ संपर्क स्थापित करना चाहते हैं। अतः ग्राहक के साथ एक स्थायी एवं स्वस्थ रिश्ता बनाने के लिए हमें कई विशेषताएं प्रदर्शित करनी होगी जिनमें शामिल है :

- हमेशा ग्राहकों की पहुंच में रहना।
- ग्राहकों की आवश्यकता के प्रति तत्परता एवं      प्रतिक्रियाशीलता प्रदर्शित करना।
- ग्राहकों के साथ पारस्परिक वार्तालाप करने वाला व्यक्ति, पर्याप्त जानकारी रखने वाला हो।
- ग्राहकों को हमेशा पूर्णरूपेण संसूचित रखना।
- सीमित अनुवर्तन करना ताकि वादे पूरे किए जा सके।
- विविध सेवाएं एवं मान्यता प्रदान करना।
- सटीक, शिष्ट एवं तत्पर सेवा देना।

ग्राहकों की अपेक्षा पर खड़ा उतर कर हम एक अटूट विश्वास के  प्रतीक बना पाएंगे ताकि जो ग्राहक संदेह के घेरे में खड़े हैं वह भी हमारी ओर आकृष्ट होंगे।

चलिए इतिहास के पन्ने को पलटते हैं। विशालकाय डायनासोर अपनी विपुल शक्ति के बावजूद इस धरा से लुप्त हो गएl कारण "सर्वाइवल आफ द फिटेस्ट" के सिद्धांत के अनुसार बदलती परिस्थितियों के साथ तालमेल न बिठा पाए। वहीं चीटियां अपनी लघु काया के बावजूद अपनी जिजीविषा की किरणों को बरकरार रखने में सफल है, हर हाल में जीने की कला सीख कर करोड़ों करोड़ों वर्षों से जीवित हैl अतः इस परिदृश्य में परिवर्तनशील संसार के मर्म को समझना होगाl  परिस्थिति के कौतुक के अनुसार अपने अस्तित्व के खेल को समझ कर जीने की सर्वोत्कृष्ट कला सीखनी होगीl

बैंकों के संदर्भ में यही सिद्धांत लागू है, जहां बैंकिंग के बदलते स्वरूप की पूरी नींव ग्राहक आधार पर रखी हुई हैl ग्राहक जो पूर्णतया संतुष्ट हो, हमारी सेवाओं से प्रभावित हो,ऐसी बैंकिंग व्यवस्था लानी होगी तभी हम अपने अस्तित्व को कायम रखने में सफल हो सकते हैं।

ग्राहक सेवा का अर्थ :

ग्राहक बैंक के पास सेवा लेने के लिए आता है। सेवा के बदले ग्राहक से बैंक का सेवा प्रभार, विनिमय, कमीशन,  ब्याज आदि के रूप में लाभ प्राप्त  होता है और इसी लाभ पर उसका अस्तित्व निर्भर है। बैंकिंग व्यवसाय एक विशिष्ट सेवा से जुड़ा है। यहां सेवा का अर्थ ग्राहकों को ज्यादा ब्याज देना या उपहार देना कतई नहीं है। सेवा का तात्पर्य है कि हम ग्राहक के साथ किस तरह पेश आते हैं, एवम् उसके साथ कैसा व्यवहार करते हैं। काउंटर सेवा वह महत्पूर्ण एवम् संवेदनशील संपर्क स्थल है, जहां से बैंक की साख बढ़ती या घटती है। काउंटर सेवा से सन्तुष्ट ग्राहक बैंक की पूंजी है,  व्यापक विज्ञापन है,और वह भी बिना किसी व्यय के।

ग्राहक संतोष के उत्प्रेरक:

संतुष्ट ग्राहक ही संस्थान के उत्पादों का निरंतर क्रय  करके संस्थान को लाभप्रद बनाते हैंl इस शोध में ग्राहक संतुष्टि का सीधा प्रभाव संस्थान की आय  पर पड़ता हैl ग्राहक को  प्रदान की गई सेवा संस्थान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को बढ़ाती है तथा अपने उत्पादों को निरंतर क्रय करने व प्रयोग करने के लिए उत्साहित करती हैl

उत्पादों में गुणवत्ता एवं लाभ प्रदर्शन :

कोई भी ग्राहक वस्तु में सर्वप्रथम गुणवत्ता चाहता हैl आज विश्व भर में गुणवत्ता ही किसी व्यवसाय की सफलता की कुंजी समझी जाती है। तब बैंकिंग व्यवसाय इससे अछूता कैसे रह सकता हैl गुणवत्ता परक ग्राहक सेवा से ही व्यवसाय में वृद्धि हो सकती हैl संतुष्ट ग्राहक अपने मित्रों, संबंधियों को नए खाता खोलने के लिए प्रेरित करेंगे l ज्वाइंट वेंचर के विकास और उत्कृष्ट ग्राहक सेवा से ही बैंकिंग व्यवसाय बहुआयामी हो सकता है और बैंक की लाभप्रदाता में वृद्धि हो सकती हैl

संपूर्ण संस्थान की ग्राहक अधिमुखता :

किसी भी सेवा संस्थान की सफलता का प्रथम श्रेय उनमें  कार्य करने वाले कर्मियों की ग्राहक के प्रति अभिमुखता को जाता हैl  ग्राहक अभिमुखता का अर्थ है ग्राहकों की मुख्य अपेक्षाओं को जानना और समझना तथा अन्य विभागों के समन्वय से उन्हें अपनी अपेक्षाओं के अनुसार उत्पादों को उपलब्ध कराना l यह तभी संभव है जब संस्थान के  कार्मिकों में ग्राहक के प्रति संवेदनशीलता हो एवम उनकी अपेक्षाओं को पूरा करने की ललक हो।

ग्राहकों के निकट रहना :

संस्थान को कभी भी ए.सी. बंगले में रहते हुए बाजार की रणनीति नहीं बनानी चाहिएl वही रणनीति कारगर होती है जो कि बाजार में ग्राहकों के निकट रह कर बनाई जाती हैl आज बाजार में सफलता का रहस्य एक ही है :-ग्राहक के निकट रहकर उसको जानना, समझना व उसकी अपेक्षाओं के अनुसार उत्कृष्ट सेवा प्रदान कर उन्हें संतुष्ट करनाl

सत्य  के क्षणों को प्रभावित करने की क्षमता :

ग्राहक हमारी सेवाओं को लेते हुए कई बार परोक्ष एवम अपरोक्ष तरीके से संस्थान के संपर्क में आता है इन सभी संपर्कों से उसे एक अनुभव की प्राप्ति होती है जो कि अच्छा या बुरा हो सकता है। ग्राहक संतुष्टि इन सभी अनुभवों पर आधारित होती हैl

ग्राहक की शिकायत से लाभ :

ग्राहक संतुष्टि में निरन्तर सुधार के लिए आवश्यक है कि उनके द्वारा की गई शिकायतों के अवहेलना न कर संस्थान  उन्हें ध्यान पूर्वक सुने एवम उनके कथनों के अनुसार सुधार के लिए अपेक्षित कदम उठाएं,  इससे उत्पाद में हो रहे निरंतर सुधार के कारण लोग उसको पसंद करेंगे और लाभप्रदातों में बढ़ोतरी होगी l इस प्रकार न केवल संस्थान लाभान्वित होगा बल्कि उसके पास संतुष्ट एवं प्रसन्न ग्राहकों का एक ऐसा बड़ा समूह रहेगा जो कि सदैव संस्थान के उत्पादों को खरीदने के लिए तत्पर रहेगाl

विशेष अवसरों पर ग्राहक से संपर्क :

ग्राहकों को विशेष अवसरों पर अपने परिसर में आमंत्रित करना या उनके घर और कार्यस्थल पर मिलने जाना तथा उन्हें छोटे-मोटे  उपहार देते रहना भी परस्पर संवाद कायम रखने का एक उपयोगी तरीका हैl

विश्वसनीयता अर्जित करना :

कथनी और करनी में अंतर से व्यवसायिक प्रतिष्ठान की विश्वसनीयता समाप्त हो सकती हैl  ग्राहक सेवा का तो मूल आधार ही विश्वसनीयता है l उत्पाद सेवा, बिक्री बाद सेवा तथा ग्राहक सेवा के संबंध में कंपनी या संस्था द्वारा जो वादे और दावे किए गए हो उन पर पूरी तरह से खरे उतर कर ही ग्राहकों का विश्वास हासिल किया जा सकता हैl

ग्राहक प्रशिक्षण :

अक्सर उत्पाद या सेवा के संबंध में पूरी जानकारी ना होने के कारण ग्राहक उनका  सही इस्तेमाल नहीं कर पाता इससे ग्राहक को परेशानी तो होती है, शिकायतों का जन्म होता है तथा अधकचरे ज्ञान के आधार पर उत्पाद के इस्तेमाल से उसमें खराबी आने की संभावना भी बनी रहती हैl  इसके परिणाम स्वरूप बिना किसी वजह से संबंधित उत्पाद और कंपनी के बारे में गलत राय कायम की जा सकती हैl ऐसी स्थिति में यदि ग्राहक की शिकायत का तुरंत निवारण नहीं किया जाता तो व्यवसायिक प्रतिष्ठान के प्रति उसका विश्वास भी टूट सकता है l उदाहरण स्वरूप AMWAY कंपनी को ही देखें बाजार में बहुत ही अच्छा उत्पाद लाने के बावजूद सफल नहीं हो सका । कारण उत्पाद का सही इस्तेमाल एवं उत्पाद के बारे में जानकारी का अभाव उसके बाद ग्राहक की शिकायत का निवारण करने में असफल होना। आज हमारे पास CSP के रुप में विशाल ग्राहक - भागीदारी है, जो गांव में हमारे उत्पाद का सही एवं सटीक जानकारी ग्राहकों को दे सकता है। हमें उसके लिए CSP को प्रशिक्षित करना चाहिए । निजी बैंक अनुभवी एजेंसी से अनुबंध कर इसका फायदा उठा रहे हैं। जिसे हम CSP के द्वारा पूरा कर सकते हैं।

बेहतर ग्राहक संतुष्टि सुनिश्चित कैसे हो?

बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के कारण हमारे प्रमुख ग्राहकों को प्रतिस्पर्धियों द्वारा प्रलोभित किया जा रहा है। इसलिए आवश्यक है कि बड़े ग्राहकों के साथ भी हमारा संबंध लेन -देन आधारित बैंकिंग से रिलेशनशिप बैंकिंग में परिवर्तित हो।

व्यवहारिक रुप से हमें बदलना होगा हमारी जिम्मेदारी अपने उत्पाद बेचने तक की सीमित नहीं है। अपितु ग्राहक हमारी सुचना प्रोद्योगिकी या अन्य नये उत्पादों को स्वेच्छा से अंगीकार कर सके, इसके लिए उत्पाद विक्रयोपरांत उचित ग्राहक सेवा अनिवार्य रूप से प्रदान की जाए। शिकायतकर्ता एक मित्र के रुप में है।उसकी समस्या का निवारण जरुरी है। अपने उत्पादों को लागू करते असंतुष्ट ग्राहकों के लिए प्रतिस्थापन उत्पाद का विकल्प भी यदि हमारे सामने होगा तो सोचिए हमारा ग्राहक आधार कितना सुदृंद्द हो जाएगा।

ग्राहक सेवा का कुछ सुझाव:

- अपनेपन से दी गई सेवा बैंक की सकारात्मक छवि को बनाने में ठोस और निर्णायक भूमिका अदा करती है । विशिष्ट ग्राहक, विशिष्ट सम्मान चाहते हैं। सेवाओं में प्राथमिकता चाहते हैं। यहां  छोटे एवम मध्यम आकार के ग्राहक उपेक्षित हो जाते हैं । शाखा के लिए छोटे से छोटे ग्राहक अथवा ऋणी भी उतना महत्पूर्ण है जितना कोई विशिष्ट ग्राहक। बल्कि छोटा ग्राहक अधिक स्थायी होता है और बैंक के विकास में उसका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और इसलिए शाखा में उन्हें भी वहीं सम्मान और व्यक्तिगत सेवाएं दी जानी चाहिए।

- सामान्यता: शाखाएं जमाकर्ताओं को ही  ग्राहक मानती है जो एक भ्रामक अवधारणा है। वास्तविकता में जब लाभप्रदता पर अत्यधिक दबाव केन्द्रित हो गया तब ऋणी स्वतः ही शाखा का लाभ अर्जित करने वाला महत्वपूर्ण घटक बन जाता है। अतः लाभप्रदता के इस केंद्र बिन्दु की ओर विशिष्ट ध्यान देने की आवश्यकता है। इनकी कठिनाइयों का हल करने से अनुत्पादक आस्तियों में भी कमी आयेगी तथा लाभप्रदता में स्वत: ही अभिवृद्धि होगी।

- हमारे उत्पादों का संभाव्य जीवन चक्र बहुत छोटा नहीं होना चाहिए अन्यथा ग्राहक दूसरी जगह अथवा नए उत्पाद के बारे में सोचेंने लग जाएंगे।

- ग्राहकों का रुझान, आज सूचना प्रौद्योगिकी की तरफ उत्साहवर्धक ढंग से बढ़ा है। ईमेल, कहीं भी कभी भी बैंकिग, टेलीबैंकिंग,  इंटरनेट बैंकिंग, ई-कॉमर्स इत्यादि आज बैंकिग की प्राथमिकताएं बन गई है। तकनीक जनित उत्पाद सेवाएं ग्राहकों के बीच काफी लोकप्रिय है। उदाहरण के तौर पर केंद्रितकृत बैंकिंग प्रणाली,  इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम, कॉलसेंटर, विभिन्न भुगतान प्रणाली (rtgs/neft),  मोबाइल बैंकिंग, डेबिट-क्रेडिट कार्ड, ऑनलाइन खरीदारी डिमेट सुविधा, बिल भुगतान सुविधा आदि। परंतु बदलते परिदृश्य में एक सच आज भी कायम है कि बैंकिग के प्रत्येक कार्यकलाप का केंद्र बिंदु  हमारा ग्राहक है। विकाशोन्मुखी बैंकिग, प्रौद्योगिकी बैंकिंग, तकनीकी बैंकिंग आज बैंकिंग की स्थायी मांग है, तो विशेषकर ग्राहक सेवा संचारी भाव है, जो पूर्णतः ग्राहक संतुष्टि पर ही निर्भर है।

उत्कृष्ट ग्राहक सेवा की निरंतरता :

ग्राहक सेवा का स्तर हमेशा ऊंचा बना रहना चाहिएl यह नहीं कि पहली बार जब ग्राहक आए  तो उसे बहुत सम्मान तथा महत्त्व मिले और उसके बाद वैसा ना होl  ग्राहक से चाहे किसी भी माध्यम से कितनी बार संपर्क हो उसे वही बात और सम्मान मिलना चाहिए जिसे कंपनी ने मानक बनाया होl एक ही ग्राहक का बार-बार परिसर में आने या उसके बार-बार फोन करने से कर्मचारी कई बार उसे नजर अंदाज करने लगते हैं या उखड़े उखड़े जवाब देने लगते हैंl इससे ग्राहक के आत्मसम्मान को धक्का लगता है और व्यवसायिक प्रतिष्ठान के बारे में उसके विचार बदलने लगते हैंl ग्राहकों के साथ हमेशा का दोस्ताना और सम्मानजनक व्यवहार बिना लागत का निवेश है जो व्यवसायिक प्रतिष्ठान के प्रति निष्ठावान बनाता है और उसका गुणगान करने के लिए प्रेरित करता है।

अंत में, मुस्कुराना प्रसन्नता व्यक्त करने का नैसर्गिक तरीका है और मुस्कुराने की कोई कीमत नहीं लगती । अतएव ग्राहक के आने पर हमें मुस्कुराकर उनका स्वागत कर चेहरे पर उनके आने से  प्रसन्न होने का भाव छलकाना  चाहिए।


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