आज मेरे पूज्य बाबूजी की पुण्यतिथि है।वे मेरे जीवन का आदर्श एवं प्रेरणा हैं।जीवन को सरलता,नैतिकता ,सच्चाई और ईमानदारी से जीने की जो राह उन्होंने दिखाई उस पर चलकर जीवन मूल्यों से ना भटकूँ यही कोशिश है।जीवन के हर कठिन वक्त में हर पल मेरा मार्गदर्शन कर कर्तव्यपथ पर अडिग चट्टान की भांति मजबूत बनाने वाले मेरे पूज्य पिता जी के चरणों में सत सत नमन🙏💐🌹
उनसे जुड़ी यादों के प्रेरणादायक पलों को कड़ियों में आप सब के साथ साझा कर रही हूँ।
पहली कड़ी है:
रिक्शाचालक
बाबूजी एक दयालु व्यक्ति थे।
वे कभी रिक्शे पर नहीं बैठते थे। आखिर क्या वजह थी कि बाबूजी कभी रिक्शा पर नहीं बैठते थे?
बचपन में जब भी कहीं जाना होता था बाबूजी हमें रिक्शा से भेज देते थे पर खुद कभी रिक्शा पर नहीं बैठते थे।
अगर कभी मजबूरी में रिक्शा पर बैठ भी जाते तो रिक्शाचालक को बिना मांगे ही कुछ अधिक ही पैसा दे दिया करते थे। साथ ही घर पहुँचने पर उसे कुछ खाकर पानी पीने के लिए कहते थे।फिर उससे कहते थोड़ी देर आराम कर लो फिर जाना।और जाते समय अपने किचन गार्डन में जो भी साग सब्जी होती उसे भर भर कर देते थे। वो भी दुआएं हम सबको दुआयें देता हुआ आँखों में खुशी की चमक ले कर जाता था।
कहीं भी जाने के लिए रिक्शा वाला को हाथ देकर रोकते और अगर वह कोई बुजुर्ग रिक्शा चालक होता तो उसे वैसे ही चाय पानी पिला कर अपने कोला का साग सब्जी देकर बहुतही प्यार से विदा करते थे।
अपने बाबूजी से मैं बहुत गहराई से जुड़ीं हुई थी।वे मेरी हर जिज्ञासा का उचित एवं तर्कसंगत समाधान करते थे। एक दिन मैंने उत्सुक हो कर पूछा कि आखि आप रिक्शे में क्यों नहीं बैठते है?
बाबूजी ने मुझे बड़े प्यार से अपनी गोद में उठाया और कहा कि एक गरीब व्यक्ति अपने तथा अपनी परिवार की क्षुधा शांत करने के लिये दूसरे आदमी का भार वाहन करते हुए उसे खींच कर पसीना बहाता हुआ ले जाए इससे ज्यादा मानवीय मूल्यों का हनन नहीं हो सकता है। बुढापे की जर्जर काया और परिवारके भरण पोषणकी जिम्मेदारी इंसान को पशु तुल्य श्रम करने पर मजबूरकर देती है।
ऐसे में मैं भी उनके साथ अपनी इंसानियत खोकर पशुवत व्यवहार नहीं कर सकता।
यदि ईश्वरने हमें इस स्थितिमें रखा है कि हमें किसी से मांगना न पड़ें तो हर मनुष्य में ईश्वर को देखते हुए हमें हर जरूरतमंद की यथा शक्ति मदद करनी चाहिए। ईश्वरको धन्यवाद करने का इससे बेहतर अवसर हमें नहीं मिल सकता।
हमें अपने से कमजोर की हमेशा मदद करनी चाहिये।
ऐसे थे मेरे पूज्य बाबूजी जिनके आदर्शों ने हमें जीवन मूल्यों के साथ जीना सिखाया।🙏💐
क्रमशः