किस्से कहानियों में आधा इंसान सुना था
ऊपरी धड़ इंसानों के नीचे जानवर बना था।
या फिर सिर थे पशु के धड़ मानव का बना था
आधा तन इंसान का आधा जानवर का बना था।
कभी जलपरियों की रंगीन कहानी और
कभी पुराणों में जाम्बवन्त नाम सुना था।
जब जब धरती पर भीषण पाप बढ़ा था
भक्तों की रक्षा में प्रभु ने अवतार लिया था।
भक्त प्रह्लाद की भक्ति में बंध नरसिंह रूप में
श्री हरि ने हिरण्यकश्यप का संहार किया था।
आज हुआ हर इंसान है आधा
सब में इंसानियत से पशुता है ज्यादा।
सबके पास हैं दो दो चेहरे
इंसानों के वेश में पशु जो ठहरे।
क्या वो पल फिर से आएगा
इंसान अपनी पशुता को मार भगायेगा?
अपने चेहरे से मुखौटा हटा कर
आधा इंसान मुकम्मल बन जाएगा।
अपने अंदर के शैतान को मारकर
आधा इंसान सम्पूर्णता को पायेगा।
सद्कर्मो की राह पर चलकर ही
आधा इंसान सच में पूरा हो पायेगा।
श्री गणपति की प्रथम पूजा को
इंसान सफल तभी कर पायेगा।।