बैंक में घुसकर महिला मैनेजर के साथ बदतमीजी, वीडियो बनाने पर ठेकेदार ने तोड़ दिया मोबाइल, कहा..'तोरा अभी आदमी से पाला नहीं पड़लव है'... कैसे रोके इस तरह की घटनाएं ? जानें क्या है कानूनी प्रावधान, कानूनी संरक्षण ?
बिहार की राजधानी पटना में एक ठेकेदार ने बैंक में घुसकर महिला मैनेजर के साथ बदतमीजी की और उनका मोबाइल पटककर तोड़ डाला। ठेकेदार ने कहा कि तुमको कोई नहीं बचाएगा। घटना की पूरी तस्वीर बैंक में लगे सीसीटीवी में कैद हो गया। पीड़िता ने गांधी मैदान थाने में इस बात की शिकायत दर्ज कराई है। जिसके बाद आरोपी ठेकेदार को हिरासत में लेकर पुलिस ने पूछताछ की और बैंक में लगे सीसीटीवी को भी खंगाला।
6 दिसंबर का यह मामला गांधी मैदान थाना क्षेत्र का है जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर अब वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो गांधी मैदान थाना इलाके के केनरा बैंक का है जहां महिला मैनेजर संगीता के साथ ठेकेदार राकेश कुमार ने बदतमीजी की और गालियां दी। किसी महिला कर्मचारी या पदाधिकारी के साथ इस तरह की अभद्रता पूर्ण व्यवहार को रोकने के लिए हम क्या कर सकते हैं ? हमें क्या कदम उठाना चाहिए ? मिली जानकारी के अनुसार ठेकेदार राकेश कुमार को केनरा बैंक से लोन लेना था लेकिन सिविल स्कोर खराब होने की वजह से लोन नहीं मिल रहा था। इस बात से ठेकेदार गुस्सा हो गया और बैंक के मैनेजर पर सिविल स्कोर ठीक करने का दबाव बनाने लगा।
बैंक मैनेजर संगीता ने कहा कि उनका सिविल स्कोर ठीक नहीं है तब लोन कैसे मिल पाएगा ? सिविल स्कोर ठीक करना या खराब करना बैंक के हाथ में नहीं है। इतना सुनते ही ठेकेदार का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। ठेकेदार सोफे पर बैठी महिला बैंक मैनेजर को ऊंगली दिखाते हुए कहने लगा कि ज्यादा तेज बनेगी रे..मेरा सिविल ठीक कर..ना ठीक होलऊ तो देखिये तोहर चैम्बर में घुसकर का करबऊ हम..तू रिकॉर्डिंग करोगी हमको बेइज्जत करोगी..तोहरा अभी आदमी से पाला नहीं पड़लव है..कही जाकर पूछ ले हमरा बारे में...तोरा से कुछों ना होतव..ना तोरा कोई साथ देतव। तू बहुत खराब काम मेरे साथ की है। कोई बैंक में लोन लेता है तो मेरे नाम पर लेता है। मेरे घर में कौन-कौन अफसर नहीं है..नीचे से ऊपर तक पता कर लो जाके।
अपने साथ हो रही बदतमीजी का वीडियो जब बैंक मैनेजर संगीता बनाने लगी तब ठेकेदार राकेश कुमार ने सबके सामने संगीता का फोन छीन लिया और फर्श पर पटक कर तोड़ दिया और बैंक से चला गया।
महिला मैनेजर ने इस बात की शिकायत गांधी मैदान थाने से की जिसके बाद आरोपी ठेकेदार को पुलिस ने हिरासत में लिया और पूछताछ शुरू की। फिलहाल पुलिस बैंक में लगे सीसीटीवी और वायरल वीडियो की जांच में जुटी है। इस प्रकार की घटनाएं हमें सोचने पर विवश कर रही है कि आखिर हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है। एक महिला का शिक्षित होना और उसका आत्मनिर्भर होना कई पीढ़ियों के संघर्षों का प्रतिफल है जो हमारे समाज के नवनिर्माण का मुख्य आधार बनती है, तब जाकर नई पीढ़ी प्रस्फुटित, प्रफुल्लित एवं प्रबुद्ध होती है। ऐसे में कोई दबंग अपनी दबंगई दिखाकर, डरा धमका कर गलत तरीके से अपना लोन पास करवाने के लिए बैंक के प्रबंधक पर अनावश्यक दबाव डाले, वो भी एक महिला मैनेजर के साथ अभद्र भाषा शैली का प्रयोग करे,गाली गलौज करे, हाथा पाई करे,अपने प्रभुत्व का बखान कर खौफ का माहौल पैदा करे तो क्या हमारे पास ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कोई कानूनी संरक्षण उपलब्ध है ? या फिर थाने में एक रिपोर्ट लिखाई जाएगी, दबंग की गिरफ्तारी भी होगी और फिर अपने पैसे और प्रभुत्व के बल पर वह बेदाग छूट जाएगा और खुले सांड की तरह वह समाज में उपद्रव करता रहेगा। कहीं कुछ नहीं होगा सब कुछ महज फाइलों में बंद होकर रह जाएगा। वह फिर वापस लौट कर आएगा ब्रांच में चिल्लाएगा कि देख लिया ना कंप्लेन करके, तुम जैसे लोगों की कोई औकात नहीं है , तुम जैसे लोग हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। उस महिला पदाधिकारी पर चीखेगा चिल्लाएगा। एक महिला को सरेआम जलील करके उसका मोरल डाउन कर दिया जाएगा और एक महिला मैनेजर डर के साए में जीने पर मजबूर कर दी जायेगी। जरा सोचिए कि कैसे उसने पूरे भ्रष्ट तंत्र को अपने काबू में कर रखा है जिसकी छत्रछाया में वह सारे आम महिला मैनेजर के साथ दबंगई करता है और धमकाते हुए कहता है है कि तोरा से कुछों ना होतव..ना तोरा कोई साथ देतव। यानि कोई तुम्हारा साथ नहीं देगा।
क्या कभी आपने सोचा है कि इसका जिम्मेदार कौन है और इस स्थिति को सुधारने के लिए हम क्या कर सकते हैं? इस स्थिति के लिए बैंक या किसी भी पब्लिक ऑर्गेनाइजेशन में साथ काम करने वाले सहकर्मी हैं जो अपना मोरल खोकर प्रभुत्व वाले ग्राहक और उच्च प्रबंधन की नजरों में अच्छा बनने के लिए अपने ही सहकर्मी के साथ गलत होता हुआ चुपचाप देखते रहते हैं और त्वरित विरोध नहीं करते। वे यह नहीं समझ पाते हैं कि इस तरह की अभद्र और अपमान जनक घटना स्वयं उनके साथ भी हो सकती है।
सोशल मीडिया पर वायरल इस सीसी टीवी फुटेज में साफ साफ दिख रहा है कि पेशे से ठेकेदार राकेश कुमार जो एक प्रभावशाली ग्राहक है महिला शाखा प्रबंधक के साथ अभद्र व्यवहार कर रहा है, उस पर चीख चिल्ला रहा है उसके साथ छीना झपटी करता है और पास में खड़े स्टाफ मूक दर्शक बन कर देख रहे हैं। वह इतना कुछ करने के बाद स्टाफ के लिए रखी कुर्सी पर सारे स्टाफ के सामने बैठ कर गाली गलौज कर रहा है और कोई भी स्टाफ या बैंक का गार्ड उसे ऐसा करने से रोक नहीं रहा है।
यदि उस समय सारे स्टाफ और प्रबंधन एक जुट होकर उसकी अभद्रता का सामना करते तो ग्राहक की इतनी हिम्मत नहीं होती कि वह ऐसा कुछ भी कर पाने की हिम्मत जुटा पाता।
कभी भी कुछ विवाद होता है तो एक पक्ष दूसरे को यही धमकी देता है कि यहां से बाहर निकल फिर तुझे बताता हूँ, बाहर निकल फिर तुझे देख लूंगा, परन्तु यहां तो ऐसे हो रहा है जैसे कोई आपके ही घर में घुसकर आपको मार जाए और घरवाले भीरू बने सिर्फ देखते रहें और कुछ ना करें। इसलिए सबसे पहले ऐसी अवांछनीय स्थिति से निपटने के लिए किसी भी सरकारी संस्था, खासकर बैंक के स्टाफ सदस्यों को एक जुट होना पड़ेगा और अभद्रता करने वाले को तत्काल उसी समय रोकना होगा, तभी ऐसी अमानवीय, क्रूर, असंवेदनशील और अभद्रतापूर्ण घटनाओं पर रोक लग सकती है।
दूसरे, उत्कृष्ट ग्राहक सेवा प्रदान करते के लिए ग्राहकों के साथ अभद्रता करने पर बैंक और RBI ने स्टाफ के लिए जीरो टॉलरेंस पॉलिसी बना रखी है। परन्तु क्या आपको पता है कि अगर कोई कस्टमर बैंकर के साथ, आपके साथ दुर्व्यवहार करे और यह साबित हो जाए तो आरबीआई के अनुसार ग्राहक को ₹100000 लाख तक का जुर्माना देने का प्रावधान किया गया है। जी हां! ग्राहक द्वारा स्टाफ के साथ किया जाने वाला दुर्व्यवहार साबित हो जाए तो ग्राहक को ₹100000 तक का जुर्माना देना पड़ सकता है और यहां तो ग्राहक सीसीटीवी फुटेज में सबके सामने अभद्रता कर रहा है अब और किस प्रूफ की जरूरत है?
तीसरी और सबसे अहम बात क्या आपको पता है कि सरकारी कामकाज में व्यवधान डालना एक नान बेलेबल जुर्म है। इस घटनाक्रम में राकेश कुमार जो पेशे से ठेकेदार हैं वह अपने प्रभुत्व में सरकारी व्यवस्था के तहत निर्धारित मानदंडों को तोड़कर कार्य करने के लिए दबाव बना रहा है जो एक तरह से सरकारी कामकाज में व्यवधान डालना है, अतः इस पर नॉन बेलेबल जुर्म साबित होता है। ऐसे मामलों में गिरफ्तारी के बाद बेल नही हो सकता है। साथ ही यह महिला पदाधिकारी के साथ उत्पीड़न का मामला है जिसके लिए मानवाधिकार में कड़े से कड़े कानून है। इसके लिए महिला आयोग भी बना हुआ है जहां पर इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कई कड़े कानूनी प्रावधान है। परंतु कहते हैं ना कि अपने हिस्से की लड़ाई खुद लड़नी होती है और जब तक अपनी लड़ाई आदमी खुद ना लड़े कोई दूसरा आपके लिए लड़ नहीं सकता, आपकी मदद नहीं कर सकता और वह आपको इंसाफ नहीं दिला सकता।इसलिए इस तरह के मामले में सबसे पहले खुद सारे स्टाफ को एक जुट होकर मुकाबला करना होगा ताकि कोई अनावश्यक रूप से किसी भी पदाधिकारी के साथ दुर्व्यवहार ना कर सके और कोई भी आत्मसम्मान खोकर जीवन जीने पर मजबूर ना किया जा सके अब देखना यह है कि क्या राकेश कुमार जैसे ताकतवर और प्रभुत्व वाले ग्राहक बाहर आ पाते हैं या वह अपने जुर्म की सजा भुगतते हैं ?